69 हजार शिक्षक भर्ती

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को 69 हजार शिक्षक भर्ती परीक्षा, 2019 के लिए जारी मेरिट लिस्‍ट पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है. 01 जून, 2020 को जारी हुई इस लिस्‍ट को पुर्नविचार कर 3 माह में समीक्षा कर अभ्यर्थियों की मेरिट सूची तैयार करने का आदेश दिया है.  बता दें कि 69 हजार शिक्षक भर्ती को लेकर लंबे सयम से विवाद चला आ रहा है. एक के बाद एक कई रिट हाईकोर्ट में दायर की गई. छात्रों का आरोप है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में OBC आरक्षण के नियमों की अनदेखी की गई. आयोग के हस्तक्षेप के बाद सरकार ने माना कि इसमें चूक हुई है. बाद में इस वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की अलग से लिस्ट जारी करके सरकार ने भर्ती करने की भी बात कही. इस बीच पूरा मामला कोर्ट पहुंच गया. बीते सोमवार को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने निर्णय देते हुए 6800 अभ्यर्थियों की लिस्ट खारिज कर दी.

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

69 हजार शिक्षक भर्ती

क्या है पूरा मामला ?

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने आलोक सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को 18 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की जगह मात्र 3.80 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसी प्रकार एससी वर्ग को 21 प्रतिशत की जगह सिर्फ 16.2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जो पूरी तरह गलत है क्योंकि इस भर्ती प्रक्रिया में लगभग 19000 सीटों पर आरक्षण घोटाला हुआ है जबकि सरकार ने 69 हजार  सीटों के सापेक्ष मात्र 6800 सीटें ही दी हैं। याचिका में कहा गया है कि भर्ती प्रक्रिया में सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन किया गया है।

आरक्षण कोटे का पालन नहीं:

बता दें कि हाईकोर्ट लखनऊ की पीठ ने 69 हजार सहायक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन नहीं किए जाने पर 1 जून 2020 को जारी सहायक अध्‍यापक के चयन से जुड़ी सूची को 3 माह में संशोधित करने को कहा था. साथ ही कोर्ट ने भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्‍त 6800 अथ्‍यर्थियों की जारी चयन सूची को भी खारिज कर दिया था.

क्यों कोर्ट पंहुचा मामला?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ल की एकल पीठ ने यह आदेश जारी किया है. कोर्ट में दर्ज याचिकाओं में चयन सूची को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि आरक्षित कैटेगरी के उन अभ्यर्थियों को भी अनारक्षित कैटेगरी में ही जगह दी गई है, जिन्होंने अनारक्षित वर्ग के लिए तय कट ऑफ मार्क्स प्राप्त किए हैं. दूसरी ओर, अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को गलत तरीके से अनारक्षित वर्ग में रखा गया, जिन्होंने TET व सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ ले लिया था.

अदालत में कहा गया कि एक बार आरक्षण का लाभ दिए जाने के बाद अनारक्षित वर्ग में आरक्षित अभ्यर्थियों का चयन करना गलत है. वहीं 2 याचिकाओं में 05 जनवरी, 2022 को आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की जारी चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना विज्ञापन के ही जारी किया गया था.

By admin